कानपुर नगर। शुक्रवार 28फरवरी 2025 (संवाददाता) सूर्य उत्तरायण, फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष अमावस्या, बसंत ऋतु २०८१ पिंगल नाम संवत्सर। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कानपुर शाखा द्वारा आज रमजान के पवित्र महीने में उपवास कर रहे मधुमेह, उच्च रक्तचाप और किडनी रोग से पीड़ित रोगियों के लिए स्वास्थ्य जागरूकता सलाह देने हेतु एक पत्रकार वार्ता का आयोजन आई.एम.ए. कार्यालय में किया गया।
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को आई.एम.ए कानपुर की अध्यक्ष डॉ. नंदिनी रस्तोगी, डॉ ए.सी. अग्रवाल, चेयरमैन, वैज्ञानिक सब कमेटी, एवं डॉ विकास मिश्रा, सचिव, आई.एम.ए. कानपुर संबोधित किया।
आए हुए पत्रकार बंधुओं का स्वागत करते हुए विशेषज्ञ चिकित्सकों ने रमजान के पवित्र माह में उपवास कर रहे रोगियों के स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। रमज़ान उपवास और प्रार्थनाओं का पवित्र महीना है। समाज में मधुमेह और उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या बहुत अधिक है और चूंकि इस महीने के दौरान उपवास अनिवार्य है, इसलिए हमें अपने मधुमेह और रक्तचाप को अच्छी तरह से नियंत्रण में रखने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। पर्याप्त नियंत्रण रखने के लिए महीने की शुरुआत से पहले ही अपने उपचार करने वाले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और सहरी और इफ्तार के समय भोजन के सेवन के समय में बदलाव के कारण, दवाओं की मात्रा और प्रकृति को संशोधित करना होगा।
जो मरीज़ केवल आहार और व्यायाम पर हैं, उन्हें पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ के सेवन के साथ इसे जारी रखा जा सकता है। जो मरीज़ सल्फोनिल्यूरिया जैसी रक्त शर्करा कम करने वाली दवाएँ ले रहे हैं, उन्हें सख्त चिकित्सकीय मार्गदर्शन में दवाएँ लेनी चाहिए, अपनी सुबह की खुराक कम करें और मुख्य दवाएँ इफ्तार के समय लें। ग्लूफ्लोज़िन जैसी दवाओं से बचना चाहिए क्योंकि इसमे सल्फोनिल्यूरिया भी नहीं है। मेटफॉर्मिन और ग्लिप्टिन को चिकित्सकीय सलाह से जारी रखा जा सकता है। सामान्य सुबह की खुराक इफ्तार के भोजन से पहले और सामान्य शाम की खुराक की आधी खुराक भोर से पहले सहरी में लेनी चाहिए। मिश्रण वाले इंसुलिन की बजाय लंबे समय तक काम करने वाले इंसुलिन या अल्ट्रा शॉर्ट एक्टिंग इंसुलिन को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
भोजन में साबुत अनाज जैसे कि साबुत अनाज की रोटी, ओट्स, क्वोन्हा, ब्राउन चावल शामिल होना चाहिए। खीरा, हरी बीन्स, कूटू , छोला, तरबूज आदि का सेवन अधिक करना चाहिए। लीन प्रोटीन (मीट , चिकन, फिश एवं अंडा)को बढ़ाया जाना चाहिए और कार्बोहाइड्रेट कुल भोजन के 45 से 50% से अधिक नहीं होना चाहिए। हम मछली, टोफू और अंडे और स्किम्ड दूध, दही और पनीर ले सकते हैं। मीठे पेय पदार्थ, सिरप और जूस, रिफाइंड खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। पर्याप्त मात्रा में फल, सब्जियाँ और जटिल कार्बोहाइड्रेट का सेवन सुनिश्चित करें। उपवास जटिलताओं के जोखिम को बढ़ा सकता है, खासकर दुबले या टाइप वन मधुमेह रोगियों में। रक्तचाप के रोगियों को चिकित्सकीय देखरेख में अपनी दवाएँ जारी रखनी चाहिए।
एक बात महत्वपूर्ण है और वह है पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन। इफ्तार के समय 1-2 खजूर खाए जा सकते हैं।
जिन रोगियों को किडनी की बीमारी है, उन्हें भी नियमित दवाएँ और मूत्रवर्धक केवल सख्त चिकित्सकीय देखरेख में ही लेने चाहिए। शुगर और बीपी की उचित निगरानी रखें और अपने डॉक्टर से परामर्श करने/कॉल करने में कभी संकोच न करें।
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