कानपुर नगर। शनिवार 23नवम्बर 2024 (लेख) सूर्य दक्षिणायन, मार्गशीर्ष मास कृष्ण पक्ष अष्टमी, हेमंत ऋतु २०८१ पिंगल नाम संवत्सर। भले ही योगी आदित्यनाथ का राजनीति में प्रवेश वर्ष १९९८ में बतौर सांसद हो गया था किन्तु उनकी राजनीतिक कुशलता व नवाचार का उभार तब देखने को मिला जब उन्होने २०१७ में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला।
जिस समय योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश की सत्ता की बागडोर संभाली थी उस समय उत्तर प्रदेश में खासकर सपा समर्थित राजनीतिक माफि याओं की तूती बोल रहती थी। दंगे फ साद तो आम बात हो गये थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह सूबे के सुपर राजनीतिक माफि या समझे जाने वाले अतीक अहमद और मुख्तार अंसारी की रीढ़ ही नहीं तोड़ दी उनका आस्तित्व ही मिटा दिया उससे उत्तर प्रदेश की जनता में यह संदेश गया कि सत्ता चाह ले तो कोई भी कितना बड़ा माफि या क्यों न हो उसका अंत तय है।
योगी जी ने माफि याओं, दंगाईयों के दमन के लिये जिस तरह 'बुलडोजर' का सहारा लिया कालांतर में वही बुलडोजर पूरे देश में गरजते दिखा। भाजपा शासित राज्यों में तो बुलडोजर अपराधियों के दमन का सशक्त माध्यम सिद्ध होने ही लगा विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में भी इसका प्रयोग किया जाने लगा।
मुख्यमंत्री योगी का बुलडोजर ऐसे गरजा कि देश की न्यायपालिका तक सकते में आ गई। किन्तु-परन्तु के साथ सुप्रीम कोर्ट ने बुलडोजर की कार्यवाही पर रोक लगाने का फ रमान सुना दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने माना कि अतिक्रमण आदि हटाने के लिये बुलडोजर की कार्यवाही यथावत जारी रहेगी।अपराधियों के घरों को तोड़ने के लिये भले ही सुप्रीम कोर्ट ने बुल्डोजर के प्रयोग पर रोक लगा दी किन्तु आम जनता को सुप्रीम कोर्ट का फैसले रास नहीं आया। अधिसंख्य जनता ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आलोचना भी की।
अपराधियों के दमन के लिये बाबा का बुलडोजर जहां बाबा की पहचान बन गया वहीं उनका बनाया आगजनी, दंगों आदि से निपटने के लिये नया कानून कि सरकारी अथवा निजी सम्पत्ति को जो भी नुकसान होगा उसकी भरपाई आगजनी दंगा फ ैलाने वालों से की जायेगी भी काफ ी कारगर साबित हुआ। इसके परिणाम भी सामने आ गये। २०१७ में योगी जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ७ वर्षो में सूबे में एक भी दंगा नहीं हुआ।
यहां गौरतलब तो यह है कि मुख्यमंत्री जी के इस कानून को खासकर केरल जैसे राज्यों ने भी अपनाया जहां बामपंथी दलों की सरकार है।
बुलडोजर के बाद बाबा के राजनीति में जिस दूसरे नवाचार ने धूम मचा रखी है वो है बाबा का दिया गया नारा 'बंटोगे तो कटोगे-एक रहेंगे तो नेक रहेंगे। बाबा के इस नारे को न केवल प्रधानमंत्री वरन् संघ तक का पूर्ण समर्थन मिला है। प्रधानमंत्री ने भले ही बाबा जी के एक रहेंगे तो नेक रहेंगे की जगह 'एक रहेंगे तो सेफ रहेंगेÓ का नारा दिया किन्तु दोनो का मकसद एक ही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का यह नारा न केवल हरियाणा चुनाव में भाजपा की हारी बाजी पलटने में कामियाब रहा वरन् महाराष्ट्र, झारखण्ड के चल रहे चुनाव तथा उत्तर प्रदेश में हो रहे उपचुनाव में भी हो काफी कारगर सिद्ध हो रहा है।
चुनाव की जाने भी दी तो योगी जी का उक्त नारा आम हिन्दू जनमानस को उद्वेलित करने लगा है। योगी जी अपने भाषणों में इतिहास की उन घटनाओं को कुरेदने में संकोच नहीं करते। जिनके चलते ही हिन्दुओं के दिल दहला देने वाले कत्लेआम हुये थे। अतीत की जाने भी दे तो आज जिस तरह बंाग्लादेश में हिन्दुओं के साथ खुलेआम अत्याचार हो रहा है वो हिन्दुओं के बंटने का ही नतीजा है। योगी जी के उक्त नारे का ही नतीजा है कि कनाडा में हिन्दू अपने मंदिरों में तोड़फ ोड़ व देव मूर्तियों के अपमान को लेकर एकजुट होने लगे हैं और वे अपने जुलूसों व बैठकों आदि में 'बंटोगे तो कटोगेÓ का नारा भी लगाने लगे हैं।
नि:संदेह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का 'बंटोगे तो कटोगे एक रहेंगे तो नेक रहेंगे का नारा सदियों तक हिन्दुओं को उद्वेलित व जागृति करता रहेगा।
addComments
एक टिप्पणी भेजें