भारत में लोकतंत्र और उसकी लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि लोककल्याण कार्यक्रम के तहत बहुत सी चीजें मुफ्त दी जाती है!
आवास, सिलेंडर गैस, राशन सब मुफ्त है सड़के,स्वास्थ्य तक सही है लेकिन मुफ्त राशन या भोजन कही से उचित नहीं है! लोगों को समुचित रोजगार मिले तो उसे क्या जरूरत है मनरेगा में कार्य करने की , न ही मुफ्त के राशन के लिए लाइन में लगने की....
स्वस्थ योजनाओं का आभाव है इसका प्रमुख कारण है राजनीति जो विकास की जगह लोकलुभावन योजनाओँ पर कार्य करती है उसे भी पता है खुशहाल जनता देश और राज्य की प्रगति चाहेगी, 73 साल वाला मुफ्त वाला कार्यक्रम नहीं!
इस वर्ष सरकार द्वारा MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) धान का 1850 घोषित है लेकिन साधारण किसान 1100 रुपये पर धान बेचने पर मजबूर है क्योंकि सरकारी क्रय केंद्र पर साधारण किसान की सुनवाई नहीं होती है!
वोटर लिस्ट का सर्वे प्रत्येक वर्ष होता है किन्तु किसी भी सरकार द्वारा घर जाकर सर्वे नहीं कराया जाता है कि सरकारी योजनाओं की पहुँच जनता तक कितनी है!
वोटर लिस्ट का काम किसी न चुनाव में लगभग हर वर्ष पड़ता है यह नेता के काम की चीज है!
सरकारें भ्रस्टाचार दूर करने की बात करती है लेकिन दूर करने का प्रयास कभी नहीं...किसान के साथ एक बड़ी समस्या है उसका कोई वोट बैंक नहीं है!
जातियों के उभार के कारण किसान संगठन की भूमिका नगण्य है!
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