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जब देश के युवाओं में योग्यता हो, प्रतिभा हो और उस प्रतिभा के आधार पर प्रतिभावान युवाओं को देश सेवा करने के लिए उपयुक्त पद देकर सेवाएं ली जाएं तो वह समाज, वह देश उन्नति करता है क्योंकि योग्य व्यक्ति ही अपने पद का, अपने उत्तरदायित्व का सही प्रकार से निर्वहन कर सकता है।
जैसे कि उदाहरण के लिए कोई दो विद्यार्थी डॉक्टरी की पढ़ाई (सीपीएमटी) के लिए प्रवेश परीक्षा में पहला 60% अंक प्राप्त करता हैं और दूसरा 5 परसेंट अंक प्राप्त करता है क्योंकि आरक्षित सीट होने के कारण आरक्षण जाति का 5% अंक पाने वाला बच्चा सीपीएमटी में डॉक्टर बनने के लिए चुन लिया जाता है वहीं पर सामान्य वर्ग का 60% अंक पाने वाला विद्यार्थी योग्य होते हुए भी उसे अवसर नहीं दिया जाता है। ऐसी स्थिति में 5 परसेंट प्राप्त करने वाला छात्र डॉक्टरी की पढ़ाई में कहां तक सफल होगा यह आप लोग भली प्रकार से जानते हैं। ऐसे डॉ आरक्षण का लाभ उठाकर सरकारी विभाग में नौकरी पा जाते हैं और कोटे से बने अयोग्य डॉक्टर जब जनता को अपनी सेवाएं देंगे तो निश्चित रूप से जनता के साथ अन्याय होता है।
इसी प्रकार अन्य विभागों में जब योग्य छात्रों को अवसर नहीं दिया जाएगा उस स्थिति में अयोग्य व्यक्ति उन पदों पर अपनी अक्षमताओं के अनुसार कार्य करेंगे। ऐसी स्थिति में वह बच्चे निश्चित रूप से उस पद के उत्तरदायित्व को गंभीरता और सत्यता के साथ नहीं निभा पाएंगे। इस कारण पदों के उत्तरदायित्व से संबंधित कार्यों में अनेक बाधाएं उत्पन्न होंगी जोकि देश के विकास और उन्नति को दीमक की तरह से चाट जाएंगी और देश प्रगति की हर कड़ी कमजोर हो जाएगी उसके दुष्परिणाम जनता को भोगने पड़ेंगे। धीरे धीरे यह समस्या देश को गुलामी की ओर ले जाएगी वहीं दूसरी तरफ जातिगत आरक्षण के कारण सामान्य एवं आरक्षित वर्ग में कटुता बढ़ेगी क्योंकि एक तरफ योग्य व्यक्ति को सरकार की नीतियों के चलते रोजगार नहीं मिलेगा वहीं पर अयोग्य व्यक्ति रोजगार पाकर उसका दुरुपयोग करेंगे। उन्हें पता है कि हमें तो नौकरी मिल ही जाएगी क्योंकि आरक्षण हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है ऐसी भावना जनता में जातीय संघर्ष को जन्म देगी ।
इस प्रकार योग्यता को जातीय बेड़िया पहनाना कहां तक उचित है यह गंभीर विषय है। इस पर विचार कर इस समस्या के समाधान को शीघ्र लाना होगा। आरक्षण देने का मूल उद्देश्य क्या है? इस विषय पर समीक्षा करना वर्तमान सरकार को आवश्यक है। भारतीय समाज को समानता के साथ अधिकार देने के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया था। आरक्षण का उद्देश्य अयोग्य को नौकरी देना नहीं है आरक्षण का मूल उद्देश्य उन सभी कमजोर जातियों के लोगों को समाज में बराबर सहभागिता करते हुए योग्य बनाना है अर्थात आरक्षण के अंतर्गत ऐसा प्रावधान होना चाहिए जिसमें उन कमजोर जातियों के लोगों को योग्य बनाया जा सके ताकि समाज में कोई भी कमजोर कड़ी न रह जाए।
अर्थात कमजोर कड़ी को मजबूत करना उन्हें सरकारी नौकरियों का प्रलोभन न देकर, उनके अंदर योग्यता को उत्पन्न करना, होना चाहिए क्योंकि नौकरी का प्रलोभन वोट बैंक की राजनीति है। यह देश की उन्नति के लिए, देशवासियों के लिए घातक है। इसलिए नौकरियों की परीक्षाओं में, पदोन्नति में हर प्रकार से योग्यता के आधार पर नियुक्ति देनी चाहिए जो कि समाज और देश दोनों के लिए श्रेष्ठ कर है वहीं पर अयोग्य लोगों को योग्य बनने के लिए सुविधाएं दी जाएं। उन्हें देश और समाज हित में उत्साहित किया जाये। तभी योग्यता पर जातीय बेड़ियों से मुक्ति मिलेगी।
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