Customised Ads
श्रमिको के पलायन से शहरवासी होंगे स्वावलंबी

http://sanjaimis.blogspot.com/2020/05/blog-post.html


वर्ष 17 अंक 5 न्याय धारा  संपादकीय


कोरोना के संक्रमण की महामारी ने विश्व को स्तब्ध होने पर विवश कर दिया क्योंकि कोरोना का संक्रमण मनुष्य मे, मनुष्य के द्वारा अन्य मनुष्यों में गुणोत्तर क्रम में फैल रहा है। इसका कोई भी अभी तक उपचार नहीं आया है इस कारण से इसका केवल बचाव एकमात्र उपाय है। बचाव का अर्थ है कि मनुष्य दूसरे मनुष्य से न मिले उसके संपर्क में न आए तथा समाज में एक स्थान पर लोग एकत्रित न हो।


जो लोग समुदाय में हो वह व्यक्तिगत एक निश्चित दूरी पर स्थित हो ताकि एक दूसरे के संपर्क में न आए और उनके द्वारा किसी प्रकार के संक्रमण का आदान-प्रदान न हो सके। इस प्रकार से मानव श्रृंखला मानव के द्वारा संक्रमण के फैलाओ की श्रंखला को तोड़ना ही इसका एकमात्र उपाय है भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखकर देश में जब कोरोना के संक्रमण का प्रारंभ हुआ तो समय रहते उन्होंने देश में तालाबंदी लागू कर दी। जिसके कारण संक्रमण का फैलाव मनमाना नहीं हो पाया।


पहले तालाबंदी के चरण में साधनों को कम समय में उपलब्ध कराना बहुत बड़ी चुनौती थी जिसे मोदी जी की दूर दृष्टिता के चलते उस पर सकारात्मक पहल हो पाई। तालाबंदी की इन परिस्थितियों से उपजने वाली सभी परिस्थितियों को नियंत्रित करने के लिए विस्तार से नीतियों को, योजनाओं को और राहत कार्यों को क्रियान्वित किया गया। दूसरे चरण की तालाबंदी के चलते जब लोग घर पर रहेंगे तभी सुरक्षित रहेंगे और कोई भी व्यक्ति भूखा ना सोए इसके लिए सूखा अन्न सरकारी राशन की दुकानों द्वारा प्रति यूनिट 5 किलो की माप से निशुल्क वितरित किया जा रहा है तथा जो असहाय हैं, गरीब हैं, मजदूर हैं तथा जिनके पास भोजन की व्यवस्था नहीं है उनके लिए समाज के संभ्रांत लोगों ने, सहिष्णु लोगों ने, समाजसेवी संस्थाओं ने, भाजपा के कार्यकर्ताओं ने तथा शासन और प्रशासन के सहयोग से मानव सेवा का पूरे देश में व्यापक रूप से समर्पित पुनीत कार्य किया जा रहा है।


केंद्र सरकार ने राज्यों की सहमति से राहत कार्यों को आखरी कड़ी तक पहुंचाने का भरसक प्रयास किया है परंतु तीसरे चरण के तालाबंदी के बाद बाहर के अन्य राज्यों के आए हुए श्रमिक मजदूर का मन अपने निजी गांव घर के लिए दृढ़ हो गया तथा उनमें ऐसा देखा गया कि यह तालाबंदी देश में पता नहीं कब तक चलेगी परदेस में पड़े हैं कब तक सहायता लेंगे कहीं सहायता नहीं पहुंच पा रही है और जो सहायता मिल रही है तो वह कब तक मिलेगी? कुल मिलाकर कुछ अविश्वास की भावना और कब तक ऐसी स्थितियों में बिना रोजगार के श्रमिक भाई रह सकते हैं इसलिए वे सभी अपने घर के लिए पलायन करने लगे। कोई हजार किलोमीटर दूर कोई 500 किलोमीटर दूर तो कोई 2000 किलोमीटर दूर यह सभी अपने घर को बिना किसी साधन के पैदल ही निकल पड़े आज पूरे देश में श्रमिकों का पलायन बड़े-बड़े शहरों से अपने घर को आने के कारण श्रमिकों का पलायन हो रहा है यह पलायन एक दृष्टिकोण से अच्छा है क्योंकि यह जो भी श्रमिक है वह अपने गांव को छोड़कर आए हैं अर्थात गांव का पलायन देश के शहरों की ओर हुआ था। जिसके कारण देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा था और शहरी लोगों में हरामखोरी आलस्य बढ़ता जा रहा था तथा अत्यधिक श्रमिकों की जनसंख्या होने के कारण शहरों में गांव से आए लोगों का सम्मान कम हुआ था।


श्रमिकों का पलायन लंबे समय की तालाबंदी को देखते हुए सही है परंतु श्रमिकों को अपने घर आने के लिए उन्हें यथोचित यात्रा साधनों को उपलब्ध कराना राज्यों की प्रथम प्राथमिकता होनी चाहिए। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्य प्रदेशों से आ रहे पैदल तथा अन्य साधनों द्वारा श्रमिक बंधुओं के लिए रोडवेज बसों को उपलब्ध करा कर उन्हें उनके गंतव्य स्थान पर पहुंचाने के लिए सहायता दी है तथा शासन प्रशासन, सामाजिक संस्थाओं और भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा इन पैदल आ रहे श्रमिकों को भोजन, पानी तथा आवश्यक वस्तुएं जैसे पैरों में चप्पल गमछा आदि देकर उनकी मानवीय सहायता की जा रही है श्रमिकों के पलायन से बड़े शहरों में श्रमिक और मजदूरों की नगर मे अभाव हो जाएगी जिसके चलते शहर में रहने वाले शहरवासी अपने छोटे बड़े सब कामों को स्वयं करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।


ऐसी स्थिति में वे स्वावलंबी होंगे और स्वाबलंबी होना मनुष्य के लिए अच्छा गुण है पलायन के बाद दशकों से जो गांव खाली हो गए थे वे अपने स्वजनों के आने पर भरे पूरे हो जाएंगे भारत का दिल गांव में बसता है इस कारण गांव और कस्बे के विकास में घर लौटे यह श्रमिक अपना अच्छा योगदान देंगे वहीं पर प्रधानमंत्री मोदी जी ने 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज सहायता बजट दिया है जिसके अंतर्गत व्यक्ति अपने घर जिले में रहकर जीवन यापन के लिए बिना ब्याज का रुपया लेकर काम प्रारंभ कर सकता है और अपनी कार्यकुशलता से देश को देसी उत्पादन में दृढ़ता और सफल बनाने में पूर्ण योगदान भी कर सकता है देश में तालाबंदी के बाद उपजने वाले भयानक परिणामों को पूर्व में ही नियंत्रित करने के लिए बेरोजगारी को दूर करने के लिए तथा देश के लोगों का रुपया देश में रहे देश के लोगों को रोजगार मिले इसके लिए स्वदेशी अपनाना ही एकमात्र उपाय है जिसके लिए मोदी जी ने पहले ही योजना लाकर देश को आने वाली आर्थिक मंदी से बचाने का एक सफल प्रयास किया है।


टिप्पणियाँ