Thursday, 26 December 2019
भारतीय सेना प्रमुख ने जनता से अपील की, वह शांति बनाए रखें इस वक्तव्य पर ओवैसी क्यों भड़के? यह बात तो देश में शांति बनाए रखने के लिए और लोगों में आपसी सौहार्द बनाए रखने के लिए कही गयी अति आवश्यक बात है तथा दूसरी तरफ सेना की कार्रवाई न करनी पड़े इसके लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
जनता को भटकाने वाले हिंसक प्रदर्शन कराने वाले ऐसे नेता नहीं हो सकते जो देश के माहौल को खराब करते हैं और यदि सेना प्रमुख शांति के लिए जनता से अपील करते हैं तो इसमे गलत क्या है? जनता से यह अपील न्यायोचित और न्याय संगत भी है इसका विरोध करना देश की अखंडता के प्रति विरोध करने जैसा है हमें समझना होगा, ऐसे लोगों से बचना होगा जो देश की अखंडता के लिए अपने विवादित बयान देते हैं और जनता को फंसाते हैं हिंसक घटनाओं में हिंसक प्रदर्शन में जनता का ही नुकसान होता है और जनता के टैक्स से आए हुए संसाधन जो सरकारी कहलाते हैं उनके साथ आगजनी और तोड़फोड़ होती है कुल मिलाकर सरकारी संपत्तियों के साथ तोड़फोड़ ना हो हमारा नागरिक घायल ना हो उग्र ना हो और देश में शांति बनी रहे इसके लिए जो भी कोई सकारात्मक प्रयास करता है हमें उसका समर्थन करना चाहिए।
जो लोग जनता को भड़काते हैं उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि बिना दिमाग के भोले भाले लोग नेता के प्रदर्शनों में अपनी हिंसक क्रियाकलापों से अपना और देश का नुकसान करते हैं आज देश के बड़े-बड़े नेता कहे जाने वाले लोग यदि जनता को भड़काएगे तो यह कहां तक सही है इस पर पुनर्विचार करना होगा आज राहुल ने देश के प्रधानमंत्री के लिए असम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया जोकि नैतिकता का पतन है जो व्यक्ति यह कह रहा है की आर एस एस का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता है इस तरीके से शब्दों को बोलना अपमानजनक है इसका विरोध होना चाहिए देश में अभिव्यक्ति की आजादी जो दी गई है वह इतनी भी आजादी नहीं होनी चाहिए कि देश की मूल भावनाओं को ठेस पहुंचे। देश की एकता और अखंडता को बाधित करें और देश में गद्दारी करने के माहौल को जन्म दे तथा उसे सशक्त करें।
अभिव्यक्ति की आजादी की परिधि पर कानून बनना चाहिए क्योंकि आज भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर टुकड़े-टुकड़े गैंग अवार्ड वापसी गैंग और जनता को वोट के लिए भड़काने वाले लोग सामने आ रहे हैं जिसके कारण देश की एक समुुुुदाय की जनता में भ्रम और असंतोष फैल रहा है।
एकता और अखंडता पर आंच आ रही है आम नागरिक भ्रम में आकर इन नेताओं के भड़काऊ भाषणों के कारण उग्र होकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं दंगा फैला रहे हैं ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी को परिभाषित करना होगा कोई भी अभिव्यक्ति की आजादी जो देश की एकता और अखंडता को देश के स्वाभिमान को देश के सम्मानित प्रधानमंत्री राष्ट्रपति समाज सेवक आदि को सम्मान पूर्वक संबोधित न करना इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। जो बच्चे विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं उनको हिंसक संघर्ष करने की आजादी नहीं होनी चाहिए वह पढ़ रहे हैं अर्थात छात्र अपनी पढ़ाई के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं नीतियों का विरोध कर सकते हैं लेकिन बसों को जलाना यातायात को बाधित करना सरकारी संपत्तियों को नष्ट करना यह करने वाले देश के नागरिक नहीं होते वह दंगाई होते हैं और उन पर शक्ति के साथ निपटना होगा।
जिन्होंने हिंसक प्रदर्शन किए देश की संपत्ति को क्षति पहुंचाई उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा न जाए उन्हें किसी भी दशा में राहत न दी जाए अन्यथा यह संदेश समाज को विघटन की ओर ले जाएगा समाज को संतुलित और शांत रखने के लिए हमें इन बातों का भी ध्यान रखना होगा कुल मिलाकर अभिव्यक्ति की आजादी पर फिर से हम सभी को विचार करना होगा और हमारी अभिव्यक्ति की आजादी देश को तोड़ने के लिए देश के साथ गद्दारी करने के लिए भ्रम फैलाने के लिए हिंसक प्रदर्शन कराने के लिए ऐसे निजी स्वार्थ को जिससे राजनीतिक लाभ हो और देश का नुकसान हो इन सभी बातों पर प्रतिबंध लगना चाहिए ऐसी आजादी को नहीं देना चाहिए जो आगे चलकर देश और संविधान के लिए घातक हो।
कश्मीर में आतंकवादियों को पत्थरबाजी से सुरक्षा देने का जो काम पिछले दशकों में चला वह बहुत ही निंदनीय था अर्थात ऐसी आजादी नहीं देनी चाहिए जिससे दंगाइयों को मदद मिले हिंसक प्रदर्शनकारियों को शक्ती मिले और वह देश को तोड़ने में सबल हो। कुल मिलाकर राष्ट्र धर्म को ध्यान में रखते हुए अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाना आवश्यक है।
जो लोग जनता को भड़काते हैं उन पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि बिना दिमाग के भोले भाले लोग नेता के प्रदर्शनों में अपनी हिंसक क्रियाकलापों से अपना और देश का नुकसान करते हैं आज देश के बड़े-बड़े नेता कहे जाने वाले लोग यदि जनता को भड़काएगे तो यह कहां तक सही है इस पर पुनर्विचार करना होगा आज राहुल ने देश के प्रधानमंत्री के लिए असम्मानजनक शब्दों का प्रयोग किया जोकि नैतिकता का पतन है जो व्यक्ति यह कह रहा है की आर एस एस का प्रधानमंत्री भारत माता से झूठ बोलता है इस तरीके से शब्दों को बोलना अपमानजनक है इसका विरोध होना चाहिए देश में अभिव्यक्ति की आजादी जो दी गई है वह इतनी भी आजादी नहीं होनी चाहिए कि देश की मूल भावनाओं को ठेस पहुंचे। देश की एकता और अखंडता को बाधित करें और देश में गद्दारी करने के माहौल को जन्म दे तथा उसे सशक्त करें।
अभिव्यक्ति की आजादी की परिधि पर कानून बनना चाहिए क्योंकि आज भारत में अभिव्यक्ति की आजादी पर टुकड़े-टुकड़े गैंग अवार्ड वापसी गैंग और जनता को वोट के लिए भड़काने वाले लोग सामने आ रहे हैं जिसके कारण देश की एक समुुुुदाय की जनता में भ्रम और असंतोष फैल रहा है।
एकता और अखंडता पर आंच आ रही है आम नागरिक भ्रम में आकर इन नेताओं के भड़काऊ भाषणों के कारण उग्र होकर हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं दंगा फैला रहे हैं ऐसे में अभिव्यक्ति की आजादी को परिभाषित करना होगा कोई भी अभिव्यक्ति की आजादी जो देश की एकता और अखंडता को देश के स्वाभिमान को देश के सम्मानित प्रधानमंत्री राष्ट्रपति समाज सेवक आदि को सम्मान पूर्वक संबोधित न करना इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए। जो बच्चे विश्वविद्यालय में पढ़ रहे हैं उनको हिंसक संघर्ष करने की आजादी नहीं होनी चाहिए वह पढ़ रहे हैं अर्थात छात्र अपनी पढ़ाई के माध्यम से शांतिपूर्ण ढंग से अपने विचारों को व्यक्त कर सकते हैं नीतियों का विरोध कर सकते हैं लेकिन बसों को जलाना यातायात को बाधित करना सरकारी संपत्तियों को नष्ट करना यह करने वाले देश के नागरिक नहीं होते वह दंगाई होते हैं और उन पर शक्ति के साथ निपटना होगा।
जिन्होंने हिंसक प्रदर्शन किए देश की संपत्ति को क्षति पहुंचाई उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा न जाए उन्हें किसी भी दशा में राहत न दी जाए अन्यथा यह संदेश समाज को विघटन की ओर ले जाएगा समाज को संतुलित और शांत रखने के लिए हमें इन बातों का भी ध्यान रखना होगा कुल मिलाकर अभिव्यक्ति की आजादी पर फिर से हम सभी को विचार करना होगा और हमारी अभिव्यक्ति की आजादी देश को तोड़ने के लिए देश के साथ गद्दारी करने के लिए भ्रम फैलाने के लिए हिंसक प्रदर्शन कराने के लिए ऐसे निजी स्वार्थ को जिससे राजनीतिक लाभ हो और देश का नुकसान हो इन सभी बातों पर प्रतिबंध लगना चाहिए ऐसी आजादी को नहीं देना चाहिए जो आगे चलकर देश और संविधान के लिए घातक हो।
कश्मीर में आतंकवादियों को पत्थरबाजी से सुरक्षा देने का जो काम पिछले दशकों में चला वह बहुत ही निंदनीय था अर्थात ऐसी आजादी नहीं देनी चाहिए जिससे दंगाइयों को मदद मिले हिंसक प्रदर्शनकारियों को शक्ती मिले और वह देश को तोड़ने में सबल हो। कुल मिलाकर राष्ट्र धर्म को ध्यान में रखते हुए अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाना आवश्यक है।
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