भारत वर्ष मे अर्थ जगत का अर्थ भारतीय रिजर्व बैंक से है और इसका स्वामी वर्मान सरकार होती है। देश की बैंको द्वारा विभिन्न मदो मे किया गया व्यापार का समस्त हिसाब प्रति वर्ष निकाला जाता और शुद्ध लाभ आनर को अर्थात सरकार को दिया जाता है।
भारत की जनता को इस प्राविधान की जानकारी प्रमुखता से नही दी जाती रही है यही कारण है कि इस प्रक्रिया से जनता अभी तक अनिभिग्य थी आज रिजर्व बैंक काफी चर्चा मे है दर असल चर्चा मे नोट बंदी के बाद से बैंके चर्चा मे आयी करेंसी बदलने से लेकर बहुत बडे बडे कर्ज धारक जो कर्ज पर कर्ज लेते रहते थे और उसकी वापसी की नही सोचते थे ऐसे नामी विजनेस मैन जो बडी प्रतिष्ठा और राजनैतिक पकड रखने से इसका वर्षो से नाजायज लाभ लिए जा रहे थे पर उनपर नयमानुसार कार्यवाही नही होती थी।
मोदी के शासन मे आने के बाद इन कमियो को बारीकी से अध्ययन कर कार्यवाही शुरू की गयी क्योकि आम जनता थोडा कर्ज लेकर यदि समय से अदा करने मे अक्षम होती है तो उसपर त्वरित कार्यवाही जाती थी पर बडे लेने वाले उद्योग पतियो पर कर्ज वसूली की जगह पुनः उससे और बडा रिण स्वीकृत कर ले दिया जाता था। सच्चाई तो साश्वत है
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