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जयंती शास्त्री और बापू की

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                          सम्पादकीय 


राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की आज 150 वीं जयंती भारत मे बडी धूम धाम से मनायी जा रही है जिसमे देश के हर जिले के जिलाधिकारी से लेकर प्रधानमंत्री तक सम्मलित है कहा जाता है कि बापू ने अहिंसा से देश को आजादी दिलायी पर अहिंसा से कैसे यह सम्भव है? यह बात आज के परिवेश मे मेरी समझ से परे है क्योकि अंग्रेजो का शासन पूरे देश मे था उनकी क्रूरता और अत्याचार से भारतीय लोग त्राहि त्राहि कर गुलामी की जंजीरो से जकडे हुए थे पर वही देश के गद्दारो के मजे थे ऐसे मे यदि कोई हाथ जोडकर अंग्रेजो से कहे कि आप लोग हमारा देश छोड कर चले जाओ भारत को आजद कर दो तो क्या यह सम्भाव था अथवा है आप ही बताए?


  आज एक ऐसे महान देशभक्त चरित्रवान सत्यनिष्ठ तथा देश के द्वतीय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की 115 वीं जयंती है पर इनके योगदान को आज भी वो सम्मान नही मिल सका जिसके वह पूर्ण अधिकारी थे। पाकिस्तान से वर्ष 1965 मे हुए युद्ध मे लाल बहादुर शास्त्री की अहम भूमिका थी भारतीय सेना विजयी हुई और पाक का काफी हिस्सा भारत ने जीत लिया अब क्या था चारो ओर से भारत पर दबाव पडने लगा। तासकंद समझौता मे भारत से शास्त्री जी को आमंत्रित किया गया जिसमे भारत द्वारा युद्ध मे जीती पाक की जमीन लौटाये जाने पर हस्ताक्षर हुए। शास्त्री जी के साथ उनका सेवक रामनाथ भी गया था शास्त्री जी रामनाथ का बना खाते थे परन्तु उस दिन शास्त्री जी के सेवक को खाना बनाने के लिए मना कर दिया गया और शास्त्री जी के लिए सोवियत संघ मे स्थित भारत के दूतावास के राजदूत पी एन कौल के रसोइये चाँद मोहम्मद ने खाना वनाया था जिसे खाने के बाद शास्त्री जी का स्वास्थ्य बिगडा और उनकी वही कुछ देर मे रात को मौत हो गयी।


     भारत के प्रधानमंत्री की विदेश मे रात के खाने के बाद हुई मौत बहोत बडी घटना है मौत के कारणो की पडताल नही की गयी, पोस्टमार्टम भी नही कराया गया, क्यो? आज तक यह रहस्य ही बना हुआ है। क्या खाने मे जहर मिलाया गया था? यह षडयंत्र किसने रचा? शास्त्री जी की मौत से किसको लाभ हुआ? सभी प्रश्न, आज भी जीवित है। जिस शख्स ने 1965 में पाक से युद्ध के दौरान खाना भी छोड़ दिया था और वेतन भी नही लिया अपनी सादगी, देशभक्ति, ईमानदारी के मिसाल रहे, जिनका कार्यकाल अद्वितीय रहा! देश को 'जय जवान, जय किसान' का मंत्र देने वाले श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जन्म जयंती पर उन्हें मेरा नमन।


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